Aigiri Nandini Lyrics in Hindi - Maa Kaali Stuti

Aigiri Nandini Lyrics in Hindi - Maa Kaali Stuti अयि गिरि नन्दिनी नन्दिती कालिदास रचित यह सर्वाधिक लोकप्रिय और असरकारी कालिका स्तुति है।

Aigiri Nandini Lyrics in Hindi - Maa Kaali Stuti

Bhajan Name - Aigiri Nandini Nanditha Medhini

Language - Sanskrit

Singers - Rajalakshmee Sanjay

Lyrics Writer - Adi Shankaracharya

Music Composer - Sankay Chandrasekhar


अयि गिरि नन्दिनी नन्दिती मेदिनि, विश्व विनोदिनी नन्दिनुते।

गिरिवर विन्ध्यशिरोधिनिवासिनी, विष्णु विलासिनीजिष्णुनुते।।

भगवति हे शितिकण्ठ कुटुम्बिनी, भूरि कुटुम्बिनी भूत कृते।

जय जय हे महिषासुर मर्दिनी, रम्य कपर्दिनी शैलसुते।।


अयि जगदम्ब कदम्ब वन प्रिय, वासिनी वासिनी वासरते।

शिखर शिरोमणी तुंग हिमालय, श्रृंगनिजालय मध्यगते।।

मधुमधुरे मधुरे मधुरे, मधुकैटभ भंजनि रासरते।

जय जय हे महिषासुर मर्दिनी, रम्य कपर्दिनी शैलसुते।।


सुर वर वर्षिणी दुर्धरधर्षिणी, दुर्मुखमर्षिणी घोषरते।

दनुजन रोषिणी दुर्मदशोषिणी, भवभयमोचिनी सिन्धुसुते।।

त्रिभुवन पोषिणी शंकर तोषिणी, किल्विषमोचिणी हर्षरते।

जय जय हे महिषासुर मर्दिनी, रम्य कपर्दिनी शैलसुते।।


अयि शतखण्ड विखण्डितरुण्डवितुण्डित शुण्ड गजाधिपते।

रिपुगजदण्डविदारण खण्ड, पराक्रम चण्ड निपाति मुण्ड मठाधिपते।।

जय जय हे महिषासुरमर्दिनी, रम्य कपर्दिनी शैलसुते।।


अयि सुमन: सुमन: सुमन: सुमन:, सुमनोरम कान्तियुते।

श्रुति रजनी रजनी रजनी, रजनी रजनीकर चारुयुते।।

सुनयन विभ्रमर भ्रमर भ्रमर, भ्रमराधिपते।

जय जय हे महिषासुरमर्दिनी, रम्य कपर्दिनी शैलसुते।।


सुरललना प्रतिथे वितथे, वितथेनियमोत्तर नृत्यरते।

धुधुकुट धुंगड़ धुंगड़दायक, दानकूतूहल गानरते।।

धुंकट धुंकट धिद्धिमितिध्वनि, धीर मृदंग निनादरते।

जय जय हे महिषासुरमर्दिनी, रम्य कपर्दिनी शैलसुते।।


जय जय जाप्यजये जयशब्द परस्तुति तत्पर विश्वनुते।

झिणिझिणिझिणिझिणिझिंकृत नूपुर, झिंजिंत मोहित भूतरते।।

धुनटित नटार्द्धनटी नट नायक, नायक नाटितनुपुरुते।

जय जय हे महिषासुरमर्दिनी, रम्य कपर्दिनी शैलसुते।।


महित महाहवमल्लिम तल्लिम, दल्लित वल्लज भल्लरते।

विरचित पल्लिक पुल्लिक मल्लिक, झल्लिकमल्लिक वर्गयुते।।

कृत कृत कुल्ल समुल्लस तारण, तल्लिज वल्लज साललते।

जय जय हे महिषासुरमर्दिनी, रम्य कपर्दिनी शैलसुते।।


यामाता मधुकैटभ प्रमथिनी या महिषोन्मलूनी।

या धूम्रेक्षण चण्डमुण्ड मथिनी या रक्तबीजाशनी।।

शक्ति: शुम्भ निशुम्भ दैत्य दलिनी या सिद्धि लक्ष्मी परा।

सा चण्डी नवकोटि शक्ति सहिता मां पातु विश्वेश्वरी।।


।।इति श्रीकालिदास विरचित् कालिक स्तुति।।


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